Sunday, July 13, 2008

प्रार्थना Prayer

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भामवेत॥
सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी सज्जन दिखाई पडे, किसी को भी दुःख न हो।






हे जग के करतार तेरी कहा अस्तुति कीजै
तू ही एक अनेक भयो है, अपनी इच्छा धार
तू ही सिरजे तू ही पालै, तू ही करै सँहार
जित देखूँ  तित तू-ही-तू है, तेरा रूप अपार।
तू ही राम, नारायण तू ही, तू ही कृष्ण मुरार।
साधों की रक्षा के कारण, युग युग ले औतार।
तू ही आदि अरु मध्य तुही है, अंत तेरा उजियार।
दानव देव तुही सुं  प्रकटे, तीन लोक विस्तार।
जल थल में व्यापक है तू ही, घट-घट बोलंहार।
तुझ बिन और कौन है ऐसो, जासों करों पुकार।
तू ही चतुर शिरोमणि है प्रभु, तू ही पतित उधार।
चरणदास शुकदेव तुही है, जीवन प्राण अधार


- भक्त शिरोमणि चरणदास 

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