पत्थर के खम्भे के सामान जीवन में कभी न झुकने वाला अंहकार आत्मा को नरक की ओर ले जाता है। -महावीर स्वामी
अंहकार छोड़े बिना सच्चा प्रेम नहीं किया जा सकता। -स्वामी विवेकानंद
कबीरा गर्व न कीजिये, काल गहे कर केस।
ना जाने कहं मारिसी, क्या घर क्या परदेस॥ -कबीरदास
किसी के बहकाने पर एक दिन पेड़ ने पत्तों से कहा, "तुम बहुत घमंडी हो गए हो और यह भूल गए हो कि तुम्हारा अस्तित्व मेरी कृपा पर निर्भर है।" पत्ते कुछ देर तक खामोश रहे फ़िर बोले, "नहीं ऐसा नहीं है। हमारे बिना आपका अस्तित्व भी अधूरा है। यदि आप असहमत हैं तो हम आपसे अलग हो रहें हैं।" इतना कहकर पत्ते एक-एक करके पेड़ से गिर पड़े। काफ़ी समय गुजर गया। इस पेड़ पर पत्ते नहीं हुए। तब उस पेड़ को सूखा जानकर जड़ से नष्ट कर दिया गया।
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