जनता की आवाज परमेश्वर की आवाज है। -सुभाषित
जनता की दृष्टि में विद्या, बुद्धि और प्रतिभा का उतना मूल्य नहीं है, जितना चरित्र बल का। - प्रेमचंद
जनता जो कुछ सीखती है, वह घटना-क्रम की पाठशाला में सीखती है और दुःख दर्द ही उसका शिक्षक है। - जवाहरलाल नेहरू
जनता बलवान मनुष्यों से प्रेम करती है। वह स्त्री की तरह होती है। -मुसोलिनी
सर्वसाधारण जनता की उपेक्षा ही एक बड़ा राष्ट्रीय पाप है। -स्वामी विवेकानंद
राजमहलों की चालबाजियां, सभा-भवनों की राजनीति, समझौते और लेन-देन का जमाना उसी दिन ख़त्म हो जाता है जब जनता राजनीति में प्रवेश करती है। - जवाहरलाल नेहरू
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