Tuesday, July 14, 2009

सेवा

बुजुर्गों की सेवा ही सच्ची पूजा है।

भूखों को अन्न देने और अपाहिजों की मदद करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं।


बिना सेवा भाव के ज्ञान उस इंजन के समान है, जो शोर तो खूब कर सकता है लेकिन चल नहीं सकता. - विजय खरे  

No comments: