बुजुर्गों की सेवा ही सच्ची पूजा है।
भूखों को अन्न देने और अपाहिजों की मदद करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं।
भूखों को अन्न देने और अपाहिजों की मदद करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं।
बिना सेवा भाव के ज्ञान उस इंजन के समान है, जो शोर तो खूब कर सकता है लेकिन चल नहीं सकता. - विजय खरे
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