वाणी चांदी है तो मौन सोना है.
सुनना एक कला है. इस कला के लिए कान और ध्यान दोनों चाहिए.
व्यर्थ सुनने वालों से बचना भी एक कला है.
व्यर्थ की बातों से खुद को बचाना भी एक कला है.
बीती बातों को भूलने का सर्वोत्तम तरीका है हमेश नई और रचनात्मक बातें सुनना व सोचना
या उसमें रमण करना.
या उसमें रमण करना.
वाणी से सुनने के अलावा हम वक्ता से निकलने वाली अदृश्य तरंगो से भी बहुत कुछ सुनते हैं.
यह अधिक प्रभावशाली होता है. इसी को मौन की भाषा कहते हैं.
यह अधिक प्रभावशाली होता है. इसी को मौन की भाषा कहते हैं.
- विजय कुमार सिंह
मौन से मतलब वाणीविहीन बनना नहीं हैं. सही समय पर सही बात कहना,
बडबोलेपन से बचना भी मौन है. - कानन झिंगन
1 comment:
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