Sunday, July 13, 2008

आत्मा Soul

आत्मा को मत भूलो
हमारे संस्कार बचपन से ही ऐसे बन जाते हैं कि हमारा ध्यान भीतर की तरफ़ नहीं जाता, बाहर की तरफ़ जाता है। आत्मा की हमें कोई ख़बर नहीं।

आत्मा के लिए शरीर एक कलेवर मात्र है, जब चाहा ओढा, जब चाहा उतारकर रख दिया। - गरूढ़ पुराण

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