Monday, August 11, 2008

क्षमा (Kshama) Forgiveness

गुस्सा आपको छोटा बनाता है, क्षमा आपको विस्तार देती है।



हजरत मोहम्मद जब भी एक गली से गुजरते थे, तो वहां रहने वाली एक झगडालू महिला गलियां देती थी और उनपर कूड़ा फेंकती थी. मोहम्मद साहब ने उसकी गाली का कभी जवाब नहीं दिया. एक दिन जब वे उस गली से गुजरे तो महिला ने न गलियां दीं और न उन पर कूड़ा फेंका. वह वापस लौटे, सीधे सीढियाँ चढ़कर उस महिला के घर पहुंचे. देखा वह बीमार है और उसकी मदद करने वाला कोई नहीं है. मोहम्मद साहब ने उसकी तीमारदारी की. ठीक होने पर महिला ने दोनों हाथ जोड़कर उनसे अपने किये की माफ़ी मांगी. 
मोहम्मद साहब ने कहा, मैंने तो तुम्हे कब का माफ़ कर दिया, पर तुम तक माफ़ी अब पहुंची है. 

किसी को क्षमा करने के लिए अपने दुःख, अहंकार और क्रोध पर काबू पाना बहुत जरुरी होता है. 
- रजनी शर्मा, साभार द बेस्ट आफ स्पीकिंग ट्री   

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