Sunday, September 4, 2011

उड़ी रे पतंग मेरी!

ऐसा माना जाता है  कि पतंग का आविष्कार चीन में हुआ.
दुनिया की पहली पतंग ४६९ में बनाई गयी थी.
धीरे धीरे पतंग बर्मा, जापान, कोरिया, अरब, उत्तरी अफ्रीका और भारत में नजर आने लगीं.
प्रारंभ में रेशम के महीन कपड़े से पतंग का निर्माण होता था. वजन में हलकी होने के कारण पतंग आसानी से  उड़ सकती थीं.
कागज़ का आविष्कार होने के बाद पतले कागज़ से पतंगें बनाई जाने लगीं.
गौर करने वाली बात ये है कि पतंग के पारंपरिक रूप से लेकर आधुनिक रूप तक बांस का प्रयोग जारी रहा.
भारत की लोकभाषा में पतंग को कनकौए या कनकैया कहकर पुकारा जाता है. 
थाईलैंड के लोग अपनी प्रार्थनाओं को  भगवान तक पहुंचाने के  लिए बरसात के दिनों में अपनी-अपनी पतंगे उड़ाया करते थे. 
बाली में जुलाई महीने के अंत में एक उत्सव में पतंगे उड़ाकर  ईश्वर से अच्छी फसल और खुशहाली की प्रार्थना की जाती है. 
बरमूडा में ईशटर के अवसर पर पतंग उड़ाने का चलन है. 
हमारे देश भारत में मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का प्रचलन है.

- साभार अहा जिन्दगी

9 comments:

Nand Kishore said...

very good

Nand Kishore said...

I really like this
thanks

jay said...

really.. very good

Multimediagyan said...

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Yashwant R. B. Mathur said...

पिछली टिप्पणी मे दिनांक की की गलत सूचना के लिए क्षमा करें---
कल 24/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Yashwant R. B. Mathur said...

पिछली टिप्पणी मे दिनांक की की गलत सूचना के लिए क्षमा करें---
कल 24/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Amrita Tanmay said...

सुन्दर प्रस्तुति..

Hindi Quotes Picture said...

Really nice collection of quotes...

Dipendra singh baghel said...

Very nice